संयुक्त देयता समूह (जेएलजी)
प्रयोजन / उद्देश्य :
- मौखिक पट्टेदार के रूप में भूमि की खेती करनेवाले काश्तकार किसानों या बटईदारों को और ऐसे छोटे किसानों को जो अपने जोत का उचित हक नहीं रखते हैं ।
- संयुक्त देयता समूह का गठन करने और उनका वित्तपोषण करने के माध्यम से ऋण प्रवाह बढ़ाना ।
- जेएलजी तंत्र के माध्यम से लक्ष्य समूह के ग्राहकों को संपार्श्विक मुक्त ऋण प्रदान करना ।
- काश्तकार किसानों के बीच आपसी विश्वास और भरोसे का निर्माण करना ।
पात्रता :
- जेएलजी में काश्तकार – किसान और छोटे किसान होते हैं जो अपनी भूमि का उचित हक न रखते हुए भूमि की खेती करते रहते हैं।
- जेएलजी को एकसमान आर्थिक स्थिति होनी चाहिए और एक संयुक्त देयता समूह के रूप में कार्य करने के लिए सहमत होकर बाहर खेती की गतिविधियां करती रहनी चाहिए।
- सदस्यों को एक वर्ष से कम न होनवाली अवधि के लिए कृषि गतिविधियों में लेगे रहना चाहिए।
- • सूक्ष्म उद्यमी, कारीगर, स्वयं सहायता समूह के सदस्य आदि।
- जेएलजी सदस्यों को चूककर्ता न रहने चाहिए और एक ही परिवार से नहीं होना चाहिए।
ऋण राशि :
- कृषि, संबद्ध कृषि और गैर-कृषि गतिविधि के लिए प्रति समूह अधिकतम : रु. 10,00,000/- तथा प्रति व्यक्ति अधिकतम रु. 1,00,000/-
- किरायेदार और मौखिक पट्टेदारों के लिए प्रति समूह अधिकतम रु. 5,00,000/- तथा प्रति व्यक्ति अधिकतम रु. 50000/- है।
ब्याज दर :
- कृपया हमारे बैंक की वेबसाइट www.indianbank.in के होम पेज पर ब्याज दर से संबंधित लिंक देखें ।
पुनर्भुगतान अवधि :
- ऋण राशि फसल की कटाई की तारीख से 2 महीने के भीतर समायोजित की जानी चाहिए।
जमानत :
- कोई संपार्श्विक नहीं। हालांकि, आपसी जेएलजी सदस्यों द्वारा प्रस्तुत परस्पर गारंटी रिकार्ड पर रखी जाती है.
( अंतिम संशोधन Sep 12, 2023 at 05:09:40 PM )